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003 FRI
020 _a8181431979
082 _221st ed.
_aH 891.43
_bKOH/Y
100 _aकोहली, नरेंद्र
245 _aयुद्ध
_bभाग-2
_cनरेंद्र कोहली
250 _a
260 _aनई दिल्ली
_bवाणी प्रकाशन
_c2006
300 _a280p.
365 _bRs.300.00
500 _aयुद्ध नरेंद्र कोहली जी का श्रेष्ठ उपन्यास है । इसे पढ़कर आप अनुभव करेंगे कि आप पहली बार ऐसी रामकथा पढ़ रहे हैं जो सामयिक, लौकिक, तर्कसंगत तथा प्रासंगिक है। यह किसी अपरिचित और अदभुत देश तथा काल की, कथा नहीं है। यह इसी लोक और काल की, आपके जीवन से सम्बन्धित समस्याओं पर केन्द्रित एक ऐसी कथा है, जो सर्वकालिक और शाश्वत है और प्रत्येक युग के व्यक्ति का इसके साथ पूर्ण तादात्म्य होता है।
650 _aLiterature
650 _aHindi literature
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653 _aसाहित्य
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